अंग्रेजों द्धारा कैद में बन्द उन भारतीय क्रांतिकारियों को आजाद भारत की सरकार ने जेल से आजाद किया उन महान क्रांतिकारियों के नाम दुर्गा भाभी शिव वर्मा, माÛराजवीर सिंह उखलाना अलीगढ़ वाले जिनके नाम आज भी आजादी के इतिहास मे विदित है। मेरे परम पूज्य गुरू इकबाल गनी खान लेक्चरर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने इन महान हस्तियांे से मिलवाया और मुझे इन महान क्रांतिकारियों का सानिध्य प्राप्त हुआ। मैंने अपने इन महानुभाव शिक्षको से जाना भारत को आजाद कराने में सात हजार बत्तीस सौ नायक अंग्रेजी हुकूमत से लड़ते हुए हँसते-हँसते फाँसी पर झूल कर कितनी कठिनईयों
खून-खराबे और कुर्बानियों के बाद देश को आजादी दिलाई, दुर्भाग्य है कि हम उसे संभाल नहीं पाए। देश और समाज के हालातों को देख कर रोना आता है आज राजनीति एक व्यापार बन गया है।
आज से 40 साल पूर्व जो प्यार प्रेम लोगों मे देखने को मिलता था वह आज नहीं है, हम अपनी जिंदगी में इतने व्यस्त हो गए है कि पड़ोसियांे से बात करना मेल-मिलाप बहुत दूर की बात है हम बच्चों को भी समय और संस्कार नहीं दे पाए, पश्चिमी सभ्यता युवाओं पर इस कदर हावी हो गई है कि वह अपनी मूल संस्कृति और संस्कारों को भूल चुके है। विज्ञान ने तरक्की की है, आज हर हाथ में मोबाइल है इंटरनेट है, हम घर मे रह कर भी अकेले है। आखिर इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है, भ्रष्टाचार अपराध और अन्याय इतना बढ़ रहा है अब समाज में रहना दूभर हो गया है,कहाँ जायेंगे हम छोड़ कर, यह वही भारत है जहाँ हमारे पूर्वज शासन करते थे और सम्पर्ण विश्व हमारी मांन्यताओ परम्पराओ दिनचर्या और नीति का अनुसरण करता था भारत को विश्व गुरू का दर्जा प्राप्त था, और भारत सोने की चिड़िया कहलाता था,कहाँ गयी वह सोने की चिड़िया और कहाँ गया विश्व गुरू का दर्जा ,सब कुछ खत्म कर दिया इस झूठ फरेब की राजनीति ने। कुछ लोग आज भी तर्क देते है कि पहले इस देश को मुगलों ने लुटा, बाकि जो बचा-खुचा था उसको अंग्रेज लूटकर ले गए । क्या हमारे विनाश का यही सच है ? नहीं, सच तो यह कि हमारे ही राजनेताओं और अंग्रेजांे ने भारत की मूल शिक्षा पद्धति को नष्ट कर दिया, और देश आजाद होने के बाद भी सरकार ने मूल शिक्षा पद्धति को अपनाना जरूरी नहीं समझा।
शिक्षा सभी के लिए अनिवार्य है बिना जातीय भेदभाव के भारत की मूल शिक्षा पद्धति को लागू करना ही देश और समाज के हित में होगा। और इस कार्य को राजनीति से ऊपर ऊठ कर ही अंजाम तक पहुँचाया जा सकता है।यह संगठन संविधान और संगठन के सभी कार्य देश उन सभी शहीदों की राह मंे श्रद्धांजलि स्वरूप है,और अखंड भारत का निमार्ण में बढ़ते कदम है। आओ देश पर थोपी गई परिस्थितियोें से बाहर निकल कर अपराध अत्याचार विहीन, सुसंस्कृत, जातिविहीन वर्ग भेद भाव विहीन, सुन्दर स्वास्थ प्रगतिशील भारत की स्थापना करने के जो पक्ष धर है और आज की शिक्षा नीति में बदलाव कर अखंड भारत निर्माण करना चाहते है तो हमारे साथ आये हमारे कंधे से कन्धा मिलाकर चलंे, एंटी करप्शन एंड क्राइम कण्ट्रोल फोर्स के सदस्य बन कर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन करें।
स्वप्र दिनांक 31 मई 2007 का सारांश स्थान रोहिणी दिल्ली जिला जेल
रचना
पंदªह अगस्त की रात थी, रिमझिम हो रही बरसात थी
मैं आजादी से सोया था, मीठे सपनों मंे खोया था
स्वतंत्रता दिवस की शान में, लाल किला के मैदान में
बहुत खूबसूरत शमां था, लाखों का मजमां जमा था
भीड़ थी बहुत भारी, झंडा रोहण की थी तैयारी
आस पास की छतों पर, संगीनों के साये थे,
कुछ तमाशबीन थे, बाकी जबरदस्ती गए बुलायंे थे
पंदªह दिन पहले से, हर दुफ्तर में एजेन्डा था
इस स्वतंत्रता दिवस को सफल बनाना, सरकारी डंडा था
देश के प्रधानमंत्री जी झंडा फहरा रहे थे
सैनिक बेंड मधंर धुन में राष्ट्रीयगान गा रहे थे
फूलों की बरसात से,हवा में खुशबु तैर गई
सैनिकों की सलामी पर, सभी की नजर ठहर गई
झंडा रोहण के बाद, प्रधानमंत्री जी
बुलेट प्रूफ शीशे के घेरे में आये, सरकार की उपलब्धियां
सभी अपने भाषण में, गिनवाये
दर्शक जोर जोर से ताली बजा रहे थे
आसमान में सूरज पर, काले बदल छा रहे थे
अचानक कौंध कर बिजली ने, कहर सा ढाया
लालकिला का प्राचीर, रौशनी से नहाया
चमत्कार प्रधानमंत्री जी के पास, एक घटना घट गई
जंजीरों में जकड़ी, शेर भी घायल
भारत माता, प्रकट हुई
मँा के हालात देख हृदय विदीर्ण हो गया
लगता था माँ का पुत्र, भारत कहीं खो गया
जिश्म पर अपनों का ही, आघात खाया था
दुःख ग्लानि और क्रोध से, सुुन्दर चेहरा तमतमाया था
शेर भी गुस्से से, बहुत झुंझलाया था
दहाड़ा शेर जोर से, हर कोई डर से थर्राया था
बेचारे प्रधानमंत्रीजी को तो, भय से ही ज्वर चढ़ आया
वो बैठ गए अलग कुर्सी पर, माइक माता के हाथ आया
बोली माँ बेटों से, आँखों में आँसू थे
साँस ठहर गई सभी की, हर कोई जिज्ञासु थे ।
लालकिला से भारत माता द्धारा देशवासियों का आवाहन
भारत जागो तुम जागो तुम भारत जागो तुम
दे लालकिले आज, माँ बेटों को आवाज
दे लालकिले आज, माँ बेटों को आवाज
उठो गहरी निंदªा त्यागो तुम,भारत जागो तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैंने तुम्हे धन धान्य दिया है, तरल पदार्थ खाद्यान दिया है
मीठे फलों के वृक्ष दिये है, औषधी अनेेंकों तत्व दिए है
जीवन का सब साज दिया है,अपने ऊपर राज दिया है
घर में तेरे चोर लगा है, जमा खोरी पर जोर लगा है
तेरा हक दूजा खाता है,तू आलस में सो जाता है
बेहोशी में तू सोता है, तेरा भाग्य तूझको रोता है
नेता बन तूने कूवत कमाई, कुर्सी की चाह में बना कसाई
भाईयों को तूने जहर पिलाया,माँ के ऊपर कहर है दाया
अंग्रेजीयत को देके सलामी,पशुवत हो गया ओढ़ी गुलामी
जाती धरम का बो दिया दंगा, कर दिया माता को ही शर्मिन्दा
भ्रष्ट हुआ खोदी द्वेश की खाई, कुल मर्यादा सब ही गंवाई,,,,,,,,,,,,,,भारत जागो तुम
खून बहा कर खुश होता है, ज्यादा पाने को रोता है।
तेरे बोझ को मैं ढोती हु। पैदा करने पर रोती हु
दया धर्म सब नष्ट हुई है, बुद्धि तेरी भ्ष््रट हुई है
मैंने तेरे सब कष्ट संभाले, जिस्म में मेरे पड़ गए छाले।
हया शर्म गर कुछ है बाकि, बन जा मजलूमों का साथी ।
एक पिता तेरा एक ही माई, आपस में तुम सब हो भाई।,,,,,,,,,,,,,,,,,, भारत जागो तुम
वीर शिवाजी दुर्गा रानी, लक्ष्मीबाई सुभाष सा सानी।
महारणा प्रताप भूपाल कहा है, भगत सिंह मेरा लाल कहा है।
लोहिया गाँधी महात्मा फूले, शहीदों की कुरबानी भूले।
सुखदेव राजगुरू मंगल पांडे, अंग्रेजो के हिला दिए झंडे।
है कोई ऐसा वीर गाबरू, जो भारत माँ की रखे आबरू ।
माँ के दूध को यूँ न लजाओ, आकर मेरी लाज बचाओ.................. भारत जागो तुम
सुत्रधार
इतना बोलते-बोलते भारत माता रो गई
गस आया उन्हें और जमीन पर सो गई
माँ के दुःख में,मैं खोया था निंदªा टूटी बहुत रोय था
मैं वो माँ का शेर हु भारत, भ्रष्टांे को करता हु गारत
चंदª शेखर आजाद नाम धराउँ, प्रण अपने से पलट न पाउँ
भारत में तेरा लाल कहाउँ, सत्य वचन सबको समझाऊ
भारत माँ के तुम भी बेटे हो, फिर वे सुध से क्योें बैठो हो
आओ मिले हों एक आत्मा, भ्रष्टाचार का करे खात्मां
तभी भीड़ से एक आवाज है आयी
भईया क्या भारत कही खो गया है
मैंने कहा नहीं ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ.................
भारत माता के दिल में भ्रष्टाचार का कैंसर हो गया है
कौन करेगा इलाज इस कैंसर का ।
आप ऽ ऽ ऽ आप ऽ ऽ ऽ आप आप आप या आप
क्या है कोई माई का लाल ऽ ऽ ऽ क्या है कोई माई का लाल